जम्मू। पाकिस्तानी सेना से गोलीबारी के दौरान घायल जवान गुरमान सिंह का शनिवार देर रात निधन हो गया। इस शहीद ने पाकिस्तान की तरफ से कठुआ में चल रही मुठभेड़ के दौरान एक आतंकी सहित 7 पाकिस्तानी रेंजर्स को अपनी बहादुरी से मार गिराया था। जिसके चलते पाकिस्तानी सेना ने गुरमान को अपना निशाना बनाया था। उन्हें सिर में गोली लगी थी जिसके बाद आनन -फानन में गुरमीत को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर दो दिनों से उनका इलाज चल रहा था लेकिन 26 साल के इस जाबांज सिपाही ने कल देर रात अपना दम तोड़ दिया।
पूरा देश गुरमान सिंह की शहादत को सलाम कर रहा है तो वहीं अपने बेटे के शहीद होने के खबर मिलते ही परिवार में शोक का माहौल है। इसके साथ ही परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया है। गुरमान के परिजननों का आरोप है उन्हें वक्त पर सही इलाज मिला होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी।
गौरलतब है कि पाकिस्तान की तरह से लगातार हो रही फायरिंग के दौरान 21 अक्टूबर को मुठभेड़ में जख्मी हो गए थे जिसके बाद इलाज के दौरान शनिवार देर रात उन्होंने अपना दम तोड़ा। गुरमीत जम्मू के आरएस पुरा के रहने वाले है और बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते है। उन्होंने 6 साल पहले साल 2010 में बीएसएफ ज्वाइन की थी और वो रेंजीमेंट 173 बीएसएफ में तैनात थे।
सदमें में गुरमीत का परिवार:-
गुरमीत के शहीद होने की खबर मिलते ही पूरे परिवार में गम का माहौल है। गुरमीत के घर में उनके माता-पिता के अलावा एक छोटी बहन और नानी भी है। उनके पिता कुलवीर सिंह पेशे से ड्राइवर है और स्कूल बस चलाते है। बहन के मुताबिक जिस दिन गुरमीत को गोली लगी थी उसी दिन सुबह उन्होंने मां से फोन पर बात की थी।
जानिए कैसे घायल हुए गुरमीत:-
खबर के अनुसार 20 अक्टूबर की रात को जम्मू के हीरानगर सेक्टर के बोबिया पर गुरमीत तैनात थे। रात में उन्होंने एलओसी पर कुछ हलचल देखी जिसके बाद अपने साथियों को अलर्ट किया। इसके बाद दोनों तरफ से फायरिंग के दौरान गुरमीत ने 7 एक आतंकी सहित 7 पाकिस्तानी रेंजर्स को ढेर कर दिया। जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने गुरमीत पर घात लगाते हुए उन्हें घायल कर दिया जिसके बाद अस्पताल में 50 घंटे तक चले इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।