नई दिल्ली। सूबे में विधान सभा चुनावों को लेकर डंका बज चुका है। परिवर्तन की बयार बहाने को तैयार बीजेपी के लिए पहाड़ पर कमल खिलाना एक बार फिर चुनौती बनता नजर आ रहा है। भाजपा की ओर से जारी की गई प्रत्याशियों की सूची को लेकर उत्तराखंड में पार्टी के भीतर भारी उधल-पुथल मची हुई है। लोग टिकटों के बंटवारे से खुश होने की बजाय अब पार्टी के इस रूखेपन की वजह से भाजपा से नाता तोड़ने का मन बना रहे हैं।
बीते साल पहाड़ पर सियासी पारा गरम हो गया था। जब कांग्रेस के चहेते विधायक बागी बन भाजपा का दामन थाम लिए थे। भाजपा एक बार इन बागियों के सहारे सूबे में सरकार बनाने का सपना देखने लगी थी। लेकिन ये सपना हरीश रावत और कांग्रेस ने अंतिम वक्त में तोड़ दिया था। रावत सरकार तो बच गई थी। लेकिन भाजपा के लिए इन बागियों की बजह से अब पार्टी में बगावत के स्वर गूंजने लगे हैं। पार्टी में बागियों को टिकट मिलने से जिनके टिकट कटे हैं। उनके साथ समर्थकों की एक बड़ी खेप है। इसके साथ ही वे सभी प्रत्याशी भाजपा के लिए कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं।
इनके साथ ही बीजेपी के नाराज इन टिकटार्थियों के लिए कांग्रेस का रास्ता सबसे ज्यादा मुफीद साबित होता नजर आ रहा है। सूत्रों की माने तो भाजपा से बागी बन ये बड़े चेहरे कांग्रेस की नाव पर सवार हो सकते हैं। इन के साथ एक बड़ी नेताओं और समर्थकों की खेप भी कांग्रेस की ओर जा सकती है। सूत्रों की माने तो अंदर खाने की खबरें आ रही हैं कि इन भाजपा से नाराज नेताओं की कांग्रेस आलाकमान से पार्टी में आने को लेकर वार्ता हो रही है। जल्द ही पहाड़ में सियासी माहौल गरम हो सकता है।
वैसे इन नेताओं में जिन सीटों पर कांग्रेस के बागियों को टिकट मिला है। उन सीटों पर अपना टिकट कटने से नाराज चेहरों के जाने को लेकर पार्टी में मंथन का दौर चल रहा है। क्योंकि इन चेहरों के कांग्रेस के पाले में जाने से एक बार फिर सियासी समीकरण बदल सकता है। इसी समीकरण को साधने के लिए भाजपा सूबे में सारी सियासी कवायद कर रही है।
अजस्र पीयूष