लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक बार फिर सपा और कांग्रेस में गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब खुलेआम गठबंधन की चर्चा करने लगे हैं। तो वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता भी गठबंधन की बातें करने लगे है। अगर राज्य में कांग्रेस सपा से मिलाप करती है तो पार्टी का 27 सालों का वनवास खत्म हो सकता है।
कांग्रेस बेहतर छवि बनाने में जुटे कार्यकर्ता
पार्टी के 27 सालों के वनवास को खत्म करने के लिए कार्यकर्ता जोरों-शोरों से काम करने में जुटे हुए है। कोई अपनी बेहतर छवि बना रहा है तो कोई पार्टी की धूमिल छवि को साफ करने में लगा हुआ है। एक तरफ कार्यकर्ताओं द्वारा काम को सफल बनाने के लिए यह काम किया जा रहा है। राहुल गांधी ने जहां खाट सभाएं जैसी पहल की वहीं अब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबन्दी फैसले के खिलाफ पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में हैं।
नोटबंदी के खिलाफ अभियान, जनता का रूझान
केंद्र सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले पर आगामी 19 दिसंबर को राहुल गांधी राज्य में कई जगहों पर प्रदर्शवन करने वाले है। एक अभियान चलाकर नोटबंदी के माहौल को और भी गर्म की रणनीति पार्टी बना चुकी है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस कदम से जनता का रूझान अपनी तरफ करने में लगी हुई है। नोटबंदी के खिलाफ अभियान चलाने के बहाने राहुल गांधी किसनों का रूझान कांग्रेस की हितैषी पार्टी के तौर पर करेंगे। जब राहुल कांग्रेस के हितैषी पार्टी के तौर पर पेश करेंगे तो जाहिर सी बात है कि वो प्रधानमंत्री मोदी उनका निशाना होगा।
कांग्रेस को है डर
देश में लोकसभा चुनावों के बाद आई भाजपा की लहर के बाद कांग्रेस के मन में खौफ है कि मोदी लहर के साथ केंद्र की सत्ता के बाद प्रदेश में बची उसकी शान भी खत्म ना हो जाए। इसलिए मोदी पर कटाक्ष करके राहुल गांधी अपनी बंजर हो चुकी राजनीतिक जमीन को अंकुरित कर सकेंगे।
कांग्रेस के इतिहास पर नजर
राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर साल 2012 के विधानसभा चुनानों का जिक्र किया जाए तो काग्रेस ने 32 विधानसभा सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। जबकि साल 1991 में पार्टी को 46, 1993 में 28, 1996 में 33, 2002 में 25, 2007 में 22 और 2012 में 28 सीटें मिली थीं। साल 2002 में हुए चुनावों में कांग्रेस के 402 उम्मीदवारों में 334 की जमानत जब्त हो गई थी, जबकि साल 2007 में कांग्रेस के 393 उम्मीदवारों में से 323 अपनी जमानत नहीं बचा सके थे। 2012 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस के 355 उम्मीदवारों में से 240 की जमानत जब्त हो गई थी। ऐसे में इस बार के चुनावों में कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
विलय होगा खास
सपा के साथ होने वाले कंग्रेस का विलय इसलिए भी खास है क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद इसकी अगुवाई करने में लगे हुए है। कांग्रेस के कई नेता खुद भी इसे पार्टी के लिए सही मानते हैं, लेकिन सपा के राजी होने पर भी सीटों का बंटवारा बड़ा विषय है। कांग्रेस की ओर से सौ सीटों की अपेक्षा की चर्चा है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हो सका है।अखिलेश ने जो आधिकारिक बयान में दिया है उसमें कहा गया है कि सपा दोबारा राज्य में अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है और अगर वह कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ती है तो उसे 300 से ज्यादा सीटें हासिल होंगी।
(आशु दास)