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लंबे अरसे के बाद बन रहा है करवा चौथ पर महासंयोग, सुहागनें ऐसे रखें पति की दीर्घायु के लिए व्रत

करवा चौथ इस बार आज यानि शनिवार को मनाया जा रहा है। देश भर में महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। लेकिन इस बार क‍ी करवा चौथ कई मायनों में खास है। आपको बता दें कि इस करवा का व्रत संकष्टी गणेश चतुर्थी के साथ पड़ रहा है। इलिए इसका महत्‍व काफी बढ़ गया है। इस बार करवा चौथ के दिन अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है। गौरतलब है कि यह योग लंबे अरसे यानी कि 27 साल के बाद बन रहा है।

 

 लंबे अरसे के बाद बन रहा है करवा चौथ पर महासंयोग, सुहागनें ऐसे रखें पति की दीर्घायु के लिए व्रत
लंबे अरसे के बाद बन रहा है करवा चौथ पर महासंयोग, सुहागनें ऐसे रखें पति की दीर्घायु के लिए व्रत

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गौर करें कि आज के बाद यह महासंयोग 16 साल बाद ही आएगा। इससे पहले यह महासंयोग 1991 में बना था। आज के दिन जो महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखेंगी उन्‍हें विशेष फल प्राप्त होंगे। दूसरी खास बात है कि इस बार चंद्रमा रोहिणी नक्षण का पड़ रहा है। इसलिए आज का दिन और भी महत्वपूर्ण है।इस व्रत को रखने वाली महिलाएं चांद को अर्ध्य देने के बाद केवल पति के हाथ से ही जल ग्रहण करें।

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करवा चौथ का व्रत रखने वालीं सुहागनियों के लिए शुभ मुहूर्त एंव पूजा विधि के बारे में यहां पर सारी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही।
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त– 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
करवा चौथ चंद्रोदय का समय-7 बजकर 55 मिनट है।

जानिए करवा चौथ की पूजा विधि

आपको बता दें कि करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार में माथे पर लंबी सिंदूर अवश्य होनी चाहिए। क्योंकि यह पति की लंबी उम्र का प्रतीक है। मंगलसूत्र, मांग टीका, बिंदिया,काजल,नथनी, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद अथवा गजरा ये सभी 16 श्रृंगार होते हैं।इस चौथ पूजा की थाली में आटे का दीपक लगाना शुभ होता है।

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महिलाएं चंद्रमा के समान सुंदर दिखना चाहती है

सोलह श्रृंगार में महिलाएं सज संवरकर चंद्र दर्शन के शुभ मुहूर्त में छलनी से पति का चेहरा निहारती हैं,चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं। चंद्रमा मन और सुंदरता का प्रतीक है। महिलाएं चंद्रमा के समकक्ष सुंदर दिखना चाहती हैं। क्योंकि इस दिन वह अपने पति के लिए प्रेम रूपी खूबसूरत चांद हैं। इससे पति का पत्नी के प्रति आकर्षण बढ़ता है। मालूम हो कि यह व्रत समर्पण का व्रत है। जिसमें महिला जीवात्मा होती है और पुरुष परमेश्वर है। यहां पर पत्नी का समर्पण ठीक उस प्रकार होता है।जैसा कि एक भक्त का भगवान के प्रति होता है।

महेश कुमार यादव

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