नई दिल्ली। पाकिस्तान के गायक आमिर अली की पहचान दिग्गज गजल गायक गुलाम अली के सुपुत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि वह आज के दौर के युवा गजल गायकों में शुमार हैं। आमिर का कहना है कि उनके पिता उनकी प्रेरणा हैं, लेकिन वह अपने पिता की नकल नहीं करते हैं।
आज के समय में जब रैप, हिप-हॉप जैसा आधुनिक संगीत युवाओं में अपनी मजबूत पैठ बना रहा है, तो वहीं आमिर ने अपनी नए अल्बम ‘नहीं मिलना’ में शास्त्रीय संगीत में आधुनिकता का पुट देकर युवाओं को गजलों की ओर मोड़ने की कोशिश की है।
अपनी अल्बम की लांचिंग के मौके पर दिल्ली आए आमिर के साथ एक विशेष बातचीत में यह पूछे जाने पर कि उनकी इस गीत में क्या खास है, तो उन्होंने कहा, गजलों के वीडियो पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन मैंने अपने इस गाने में केवल सुरों और बोलों पर ही नहीं वीडियो पर भी काम किया है। मैंने इसके वीडियो को एक अच्छे स्तर पर बनाने की कोशिश की है, जिसे लोग सुनने के साथ ही देखने में भी दिलचस्पी लेंगे।
आमिर से जब पूछा गया कि युवाओं तक अपने इस नए गीत को पहुंचाने के लिए आपने इसमें गजल के जादू को कैसे बरकरार रखा है, तो उन्होंने बताया, इस गीत में आपको गजल के वही भाव मिलेंगे, जिसके लिए वह जानी जाती है, लेकिन जब आप इसे सुनेंगे, तो आपको पता चलेगा कि मैंने अपने गीत में गजल को एक नए कलेवर में पेश किया है।
आमिर के पिता गुलाम अली की दिल को छू लेने वाली नज्मों के दीवाने केवल पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि भारत और पूरी दुनिया में हैं, जब आमिर अपनी गजल लोगों के सामने पेश कर रहे हैं, तो ऐसे में उनकी तुलना उनके पिता से होना लाजिमी है, इस पर वह कहते हैं, मैं उनके साथ अपनी तुलना कभी नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि दुनिया में जितने भी कलाकार पैदा होते हैं, उन्हें अल्लाह एक ही बार बनाता है। उनके जैसा न ही कोई बनता है और न ही बन सकता है।
उन्होंने आगे बताया, एक बेटा होने के नाते मैं उनकी गायिकी से प्रेरित होने की कोशिश करता हूं। मैंने कभी भी उनकी नकल करने की कोशिश नहीं की। मैं अपने गीतों और गायिकी में उनकी अदायगी को ढालने की कोशिश करता हूं। वह जिस स्तर के कलाकार हैं, अगर मैं अपने गीतों में उनके स्तर की नकल करूंगा तो इसे लोग कबूल नहीं कर पाएंगे।पाकिस्तान में हाल ही में प्रख्यात कव्वाल अमजद साबरी की सरेआम हत्या पर दी गई, इस पर आमिर ने कहा, “यह बहुत ही खराब बात है। फनकार अपने संगीत, अभिनय और कला से लोगों तक प्यार का पैगाम पहुंचाते हैं, उनके साथ इस तरह की घटनाएं असहनीय हैं। लोगों को कलाकार की कला को महसूस करना चाहिए और उसे प्यार व सम्मान देना चाहिए।
आमिर शास्त्रीय संगीत के माहौल में पले-बढ़े हैं, लेकिन उन्हें किस तरह का संगीत रास आता है, इस पर वह कहते हैं, मुझे सभी तरह का संगीत पसंद है। गजल के अलावा मैं अपने पिता के गुरु उस्ताद गुलाम अली खां की ठुमरी सुनता हूं। कलकत्ता के उस्ताद राशिद खां साहब की नज्मों को सुनता हूं। मुझे बॉलीवुड की भी कई बेहतरीन धुनों को सुनना पसंद है। मैं बॉलीवुड में काम कर चुका हूं और मैं यहां और अधिक काम करना चाहता हूं।
भारत और पाकिस्तान इन दिनों मुश्किल भरे संबंधों से गुजर रहे हैं। वहीं इससे कला जगत अछूता नहीं है। भारत में कुछ महीनों पहले आमिर के पिता गुलाम अली के कार्यक्रम रद्द कर दिए गए थे। कई जगह पाकिस्तानी कलाकारों का विरोध किया गया था। तो वहीं, एक साहित्य समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जा रहे अनुपम खेर का वीजा आवेदन रद्द कर दिया गया था। आमिर से जब पूछा गया कि वह इन घटनाओं को कैसे देखते हैं, तो उन्होंने कहा, हर कलाकार प्यार का संदेश देता है, फिर चाहे वह किसी भी देश का हो, मैं भी पूरी दुनिया में कार्यक्रम करने जाता हूं, और मुझे बहुत प्यार मिलता है। मुझे लगता है कि कलाकारों को केवल प्यार की हद तक ही देखना चाहिए इसके अलावा उन्हें किसी भी मुद्दे में नहीं खींचना चाहिए।
उन्होंने कहा, कला और कलाकार का राजनीति से कोई ताल्लुक नहीं है। जो कलाकार इन चीजों से दूर हैं, उन्हें इसमें नहीं खींचना चाहिए, फिर चाहें वह गुलाम अली हों या अनुपम खेर साहब। फनकार को केवल उसका काम करने देना चाहिए। गुलाम अली साहब को भारत के लोग बहुत पसंद करते हैं, उनका कार्यक्रम रद्द हो जाने भर से भारत के लोगों का उनके लिए प्यार खत्म नहीं हुआ। सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए कभी-कभी ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। पाकिस्तान में भारतीय कलाकारों को बहुत पसंद किया जाता है।