चंडीगढ़। हरियाणा के वित्त, आबकारी एवं कराधान मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा है कि देश में ‘एक राष्ट्र एक कर’ प्रणाली लागू होने से राज्यों व केंद्र के बीच कर व्यवस्था के सरलीकरण की दिशा में जीएसटी एक क्रांतिकारी पहल है। यह जानकारी कैप्टन अभिमन्यु ने बुधवार को एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए दी। वस्तु एवं सेवा कर को पहली जुलाई, 2017 से लागू करने की अधिकांश राज्यों ने सहमति प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 की प्रथम त्रिमाही में मूल्य संर्वधन करों की प्राप्तियां का राज्य अपने-अपने बजट में समायोजित करेंगे और दूसरी त्रिमाही अर्थात 1 जुलाई, 2017 से सभी राज्य अपनी-अपनी विधानसभाओं से बिल पारित करवाएंगे। भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार 16 सितम्बर के बाद नए करों के लिए संशोधन लागू नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि जीएसटी के प्रावधानों के तहत 20 लाख रुपये तक का वार्षिक कारोबर करने वाले व्यापारियों को बाहर रखा गया है, जबकि 20 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के कारोबरियों का मूल्याकंन करने के लिए 90 प्रतिशत राज्यों के अधिकारी तथा 10 प्रतिशत केन्द्र सरकारी अधिकृत होंगे और एक अधिकारी तीन वर्ष की अवधि तक फर्म का मूल्यांकन कर सकेगा। उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये से ऊपर की वार्षिक कारोबार करने वाले फर्मों के लिए राज्य व केन्द्र सरकार के अधिकारी 50-50 के अनुपात में मूल्यांकन करेंगे। ऑनलाइन प्रणाली लागू होने से पारदर्शिता भी बनी रहेगी।