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58वें एनडीसी कोर्स के शिक्षकों और सदस्‍यों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात

58वें एनडीसी कोर्स के शिक्षकों और सदस्‍यों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सोमवार को 58वें एनडीसी कोर्स के शिक्षकों और सदस्‍यों ने मुलाकात की है। राष्ट्रपति ने मुलाकात के मौके पर  सभी को संबोधित किया। कोविंद ने अपने भाषण की शुरूआत में कहा कि ”राष्‍ट्रपति भवन में आप सब का स्‍वागत करते हुए मुझे आपार हर्ष हो रहा है। मुझे यकीन है कि 58वां एनडीसी कोर्स आप सबके लिए उपयोगी और शिक्षाप्रद रहा है। वास्‍तव में यह एक बेजोड़ पाठ्यक्रम है, जिसमें सशस्‍त्र सेनाओं और सिविल सेवाओं के अधिकारी एक साथ हिस्‍सा लेते हैं।”

 

58वें एनडीसी कोर्स के शिक्षकों और सदस्‍यों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात
58वें एनडीसी कोर्स के शिक्षकों और सदस्‍यों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात

इसे भी पढ़ेःआज तजाकिस्तान के तीन दिवसीय दौरे पर जाएंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,

भाषण में राष्ट्रपति ने कहा,  मुझे विश्‍वास है कि प्रतिभागियों ने शिक्षकों के साथ-साथ आपस में भी एक दूसरे से बहुत कुछ सीखा होगा। मुझे पता चला है कि इस कोर्स में 22 प्रतिभागी देशों के 25 सदस्‍यों ने भी हिस्‍सा लिया।आज वैश्विक वातावरण चुनौतीपूर्ण और गतिशील है। एक समय था जब राष्‍ट्र की प्रादेशिक अखंडता बनाये रखने के लिए सुरक्षा और प्रतिरक्षा एक दूसरे के पर्याय थे। आज वह स्थिति नहीं है।

कोविंद ने कहा कि आज जब हम सुरक्षा की बात करते है तो उसमें आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा के साथ साइबर सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, खाद्य, उभरती हुई प्रोद्योगि‍कियां और पर्यावरण जैसे सभी विषय सुरक्षा से संबद्ध हो गये हैं। जिस तरह से दुनिया परस्‍पर जुड़ती जा रही है, उसमें हमारी राष्‍ट्रीय सीमा से परे राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक उतार-चढ़ाव का हमारी सुरक्षा पर पहले से अधिक असर पड़ता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि  सुरक्षा के क्षेत्र में विभिन्‍न विषयों को एक साथ रखकर समन्वित ढंग से काम करना एक बड़ी चुनौती है। भारत जैसी लोकतांत्रिक प्रणाली में इसके लिए सरकार की विभिन्‍न एजेंसियों और विभागों को और यहां तक कि निजी क्षेत्र को भी समन्‍वय के साथ काम करने की आवश्‍यकता है। इसका यह अर्थ है कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं और लोक सेवकों को रक्षा सेनाओं की क्षमताओं और सोच को अवश्‍य समझना होगा। इसी तरह सैन्‍य अधिकारियों को भी संवैधानिक और प्रशासनिक फ्रेमवर्क के प्रति जागरूक होने की जरूरत है।

महेश कुमार यादव

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