सूर्य देव की सुनहरी किरणों की आभा के बीच जब पूरे साज-सज्जा के साथ सीने में जोश और बुलंद हौसलों को लेकर जैन्टिल मैन कैडेटस की टोली चैटवुड बिल्डिंग के सामने परेड ग्राउंड पर आ गई। पासिंग आउट परेड के पहले कमांडेंट परेड के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।जब नीले आसमान में सूर्यदेव की किरणें अपनी आभा बिखेर रही हैं। और वीरता के मंदिर या प्रांगण में वीर अपनी पूरी साज सज्जा में खड़े होकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हों, तो इसे देखने के लिए भी वीर ही आते हैं।
इसे भी पढ़ेंःउत्तराखंडःआईएमए देहरादून में 108 फिट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का हुआ लोकार्पण
भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में आए कुछ युद्ध वीरों के साथ भारत खबर की टीम ने खास बात चीत की।उनके सेना में कार्य करते वक्त के अनुभवों को साझा कि और उम्र के इस पड़ाव में उनके देश भक्ति के जज्बे को सलाम किया। बता दें कि 1 अक्टूबर 1932 को भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना हुई थी।देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना के पहले ये रेलवे स्टाफ़ कॉलेज के तौर पर बना था। लेकिन 1932 के बाद ये भारतीय सैन्य अकादमी के तौर पर बना । पहला बैच पॉयनियर बैच था जिसके पहले जत्थे में जनरल मूसा जो कि बाद में पाकिस्तान के जनरल बने। वहीं सैम मॉनेक शाह जो कि भारत में फ़ील्ड मार्शल बनें। और म्यांमार के जनरल के तौर पर स्मिथ डन यहां से पास आउट हुए थे।
इसे भी पढ़ेंःउत्तराखंडः आईएमए में जेंटलमैन कैडेट ने दी कमांडेंट परेड
भारतीय सैन्य अकादमी की ये बिल्डिंग 10 दिसम्बर 1932 को सेना को मिली थी। तब 40 कैडेटों के साथ इसका सफ़र शुरू हुआ था। इस साल की परेड में 347 भारतीय और 80 विदेशों के कैडेट पास आउट हो रहे हैं। इस अकादमी ने भारतीय सेना में कई बड़े और परमवीर अफ़सर दिए हैं।गौरतलब है कि आने वाली 8 दिसम्बर को पासिंग आउट के साथ इस भव्य समारोह का समापन होगा।